सागर की लहरें शांत क्यों!

ब्रह्मा कुमार/कुमारियों के लिए : 

प्रेरणा -

नोट - यह अमृतवेले बापदादा द्वारा की गई रूह-रिहान का कुछ भाग है जिसे मैं सबके साथ बाँटना चाहता हूँ। यह उस प्रश्न का उत्तर जब मैंने बाबा से पूछा था कि बाबा पुरुषार्थ न होने का मुख्य कारन क्या है, चाहते हुए भी पुरुषार्थ क्यों नहीं हो पा रहा? तीव्र पुरुषार्थ के लिए कुछ प्रेरणाएं दीजिये। 

    बाप सागर है तो बच्चे क्या हुए? जैसे शरीर शरीर को ही जन्म देता है, आम के बीज से आम के वृक्ष ही पैदा होते हैं तो फिर सागर की संतान सरोवर  बनकर क्यों रहे? जिसकी लहरें कभी शांत नहीं होती थी, उसकी लहरें तीव्र उफान मारने के समय शांत क्यों पड़ी है? सागर कभी पहाड़ों (परिस्थितियों) से नहीं डरता, तोड़ देता है उन्हों को और आगे निकल जाता है। सागर की सुनामी तो बड़े-बड़े पर्वतों को भी पेट में समा लेती है। 

    तो हे सागर की संतान मास्टर सागर तुम्हारे पुरुषार्थ की लहरें शांत क्यों है? कौन-सा पर्वत (विघ्न) बीच में आ खड़ा हुआ है जो तुम रुक गए हो! किससे डरते हो? बाप भी  जानता है कि सागर की लहरें शांत हैं फिर भी वह कहाँ भी, कभी भी सुनामी ला सकती है। अतः हे मेरे लादले, मेरे प्यारे संतान, मेरे दिल के राजदुलारे! मैं बाप भी अपने संतान मास्टर सागर की सुनामी देखने के लिए नयन बिछाए खड़ा हूँ, कितनी ताकत है मेरे बच्चे में मैं भी देखना चाहता हूँ। उठा अपने पुरुषार्थ की लहरों को और तोड़ फेंक माया के जंजीरों को, जिसने तुम्हें आगे बढ़ने से रोका है, रुलाया है, धोखा दिया है।  डर गए हो! सागर तो सर्वशक्तिवान है फिर डर क्यों जाते?

    शुरू कर दे आसुरी वृत्तियों के विनाश का तांडव नृत्य जो सब देखकर आश्चर्यवत रह जाएँ। अन्य को नहीं देखना, दूसरे तुम्हारे सहयोग के लिए नहीं है। दूसरों से सहयोग की इच्छा नहीं रखना, बाप खड़ा है। मैं भी देखना चाहता हूँ उस मास्टर सागर संतान को जिसकी सुनामी की लहरें जहाँ-जहाँ पहुंची हैं, वहां के लोगों की आसुरी वृत्तियाँ अभी भी काँप उठती है। तो फिर से उठा अपने उन सर्व शस्त्रों को और पुनः मचा दे उथल-पुथल। माया काँप उठे तुम्हारे पुरुषार्थ से, पुरुषार्थ से नहीं तीव्र पुरुषार्थ से। 

    क्या बाप के बातों पर विश्वास नहीं, क्या बाप के बातों का रिगार्ड नहीं रखना? बाप भी समय प्रमाण यही चाहता है- भल मेरे लास्ट वाला बच्चा है, लेकिन वो भी फ़ास्ट जाकर फर्स्ट हो जाये। सागर समझते हो न खुद को! आसुरी वृत्तियों का सागर नहीं, दैवी गुणों का परमात्म शक्तियों का, परमात्म वरदानों का सागर। बाप ने देखा है- हिम्मत है तुम में, कमाल कर सकते हो, कमाल करना ही है। पहले भी कहा है ना कि तुम्हें वो करना है जो तुम्हें देख दूसरों की हड्डियां भी तीव्र पुरुषार्थ के लिए प्रेरित हो उठे, तो बाप वो देखना चाहता है। वो कमाल  कर सकते हो, डरना नहीं। तूफान तो आएंगे लेकिन उन्हीं तूफानों को अपना साथी बना लेना फिर देखना पुरुषार्थ की कमाल जिसकी तरंगे आसमान छूने लग पड़ेंगी। 





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