Gyan Ka Ahankar
एक समय की बात है एक घमंडी व्यक्ति शहर से पढ़ लिख कर अपने पुराने गांव आया गांव और शहर के बीच में एक नदी पड़ती थी जिस को पार करने के बाद ही वह अपने गांव जा सकता था।
इसलिए उसने एक नाव वाले को बुलाया और उसके नाव में सवार होकर अपने गांव की ओर चल दिया। कुछ देर चलने के बाद वह घमंड में भरकर नाविक से पूछना लगा –
क्या तुमने कभी व्याकरण पढ़ा है..?
नाविक कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया और फिर बोला ‘नहीं’ साहब मैंने नहीं पढ़ा है….
घमंड और अहंकार से भरे हुए व्यक्ति ने हंसते हुए कहा फिर तो तुमने अपनी आधी जिंदगी व्यर्थ में गंवा दी..
थोड़ी देर बाद अपनी पढ़ाई का और घमंड दिखाने के लिए उस व्यक्ति ने नाविक से फिर पूछा, तुमने इतिहास और भूगोल पढ़ा है?
नाविक ने ना में सिर हिलाते हुए कहा ‘नहीं’ साहब..
अहंकारी व्यक्ति ने फिर जोर से ठहाका लगाकर नाविक का मजाक उड़ाते हुए कहा फिर तो तुमने अपना पूरा जीवन व्यर्थ कर दिया।
नाविक को इस बात पर बहुत क्रोध आया लेकिन वह मन मार कर रह गया और उस व्यक्ति से कुछ नहीं बोला चुपचाप नाव चलाने लगा..
कुछ दूर नाव चलाने के बाद अचानक नदी में उफ़ान आ गया और नाव जोर-जोर से हिचकोले खाने लगी.. यह देख कर नाविक ने चेहरे पर छोटी सी मुस्कान के साथ ऊंचे स्वर में उस व्यक्ति से पूछा-
‘साहब’ आपको तैरना भी आता है या नहीं…?
व्यक्ति ने कहा – ‘नहीं’ मुझे तैरना नहीं आता है.
नाविक ने कहा फिर तो आपको अपने इतिहास भूगोल और व्याकरण को सहायता के लिए बुलाना पड़ेगा, वरना आपकी सारी उम्र बर्बाद हो जाएगी… क्योंकि यह नाव डूबने वाली है.
यह कहकर नाविक नदी में कूद तैरता हुआ किनारे की ओर चला गया।
शिक्षा : इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी अपने ज्ञान पर व्यर्थ का अहंकार प्रदर्शित नहीं करना चाहिए और किसी को अपने ज्ञान के बल पर नीचा नहीं दिखाना चाहिए।
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